World Tourism Day LU: लखनऊ विश्वविद्यालय के पर्यटन अध्ययन संस्थान में विश्व पर्यटन दिवस अंदाज़ में मनाया गया। कार्यक्रम की थीम यूपी की लोक संस्कृति पर आधारित अवधारणा थी। यूपी की लोक संस्कृति पर आधारित इस अवधारणा को लखनऊ विश्वविद्यालय पर्यटन अध्ययन संस्थान की समन्वयक डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव ने ख़ास तरीके से डिज़ाइन की थी।
यहाँ ये जानना जरूरी है कि यूएनडब्ल्यूटीओ (UNWTO) ने इस वर्ष के लिए थीम “पर्यटन और हरित निवेश“ समर्पित की है। इस अवसर पर पर्यटन अध्ययन संस्थान ने कई गतिविधियों का आयोजन किया।
यूपी की लोक संस्कृति पर आधारित अवधारणा पर्यटन अध्ययन संस्थान की समन्वयक डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव ने डिज़ाइन की थी।
डॉ. अनुपमा ने कहाकि युवा पीढ़ी को पारंपरिक लोक संस्कृति के महत्व का पहचानना चाहिए। उन्होने ज़ोर देकर कहाकि युवा वर्ग में समाज को हर वर्ग को शिक्षित करने की क्षमता है।
विश्व पर्यटन दिवस मनाने के पहले पहले पर्यटन अध्ययन संस्थान में वृक्षारोपण अभियान चलाया गया। वृक्षारोपण कार्यक्रम में डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव के नेतृत्व में छात्रों के साथ-साथ संकाय सदस्यों ने भरपूर योगदान किया।
विश्व पर्यटन दिवस छात्रों के द्वारा कार्यक्रम के साथ मनाया गया। जिसमें उत्तर प्रदेश की जन भावना का प्रदर्शन किया गया। छात्रों ने जानेमाने अभिनेता अमिताभ बच्चन की आवाज़ पर नृत्य प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर छात्रों द्वारा उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति का प्रदर्शन किया गया। उत्तर प्रदेश के लोकगीतों के इर्द-गिर्द घूमती एक देहाती गायन और लोक-नृत्य प्रस्तुति, जिसके मूल में पर्यावरणीय चेतना है।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों भोजपुरी, बुन्देलखण्ड, रोहिलखंड, अवध और ब्रज को विशेष रूप से इलाकों के लोक गीतों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था।
भोजपुरी का लोक गीत ’सखियाँ सावन बहुत सुहावन’ था, बुन्देलखण्ड से ’आई करन पहुनाई सरद ऋतु सज धज के आई’ प्रस्तुत किया।
अवधी का गीत था ’हाय रामा भीजत मोरी चुनरिया बदरिया बरसे रे बारी’, रुहेलखंड का गीत ’नन्ही नन्ही बुंदिया रे सावन का मेरा झुलना’ और अंत में ब्रज का गीत चुना गया ’आज बिरज में होरी रे रसिया’।
अंतिम गीत में ब्रज की होली का माहौल बनाने के लिए फूलों का उपयोग करते हुए लोक-नृत्य प्रदर्शन भी देखा गया।प्रदर्शन से पूरा विश्वकर्मा हॉल मंत्रमुग्ध हो गया और दर्शकों पर फूलों की वर्षा की गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संजय मिश्रा, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना मौजूद रहे। साथ ही प्रो. बी.डी. सिंह, निदेशक, द्वितीय परिसर, लखनऊ विश्वविद्यालय भी समारोह में रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में रेडियो मिर्ची के आरजे प्रतीक ने भी समारोह की शोभा बढ़ाई।