Tuesday, September 17, 2024
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Rashtriya Pustak Mela: राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सम्मानित हुए 20 साहित्यकार 

पुस्तक मेले में ख़ूब हैं अध्यात्म-धर्म की राह दिखाने वाली किताबें 

Rashtriya Pustak Mela: लखनऊ के बलरामपुर गार्डन, अशोक मार्ग पर चल रहे 11 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले का आज का नवां दिन था। महीने का अंतिम दिन होते हुए भी शनिवार की छुट्टी का दिन होने के नाते ज्ञानकुम्भ थीम पर आधारित निःशुल्क प्रवेश वाले इस मेले में पुस्तक प्रेमियों का उमड़ना रात तक जारी रहा। इस 20वें पुस्तक मेले में आज आयोजकों की ओर से 20 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। महापौर सुषमा खर्कवाल ने भी आज पुस्तक मेले का भ्रमण किया। 

मेले में धर्म-अध्यात्म की राह दिखाने वाली किताबें भी बहुत हैं। वैदिक साहित्य केन्द्र के स्टाल पर 15 प्रतिशत छूट पर वैदिक साहित्य तो है ही, दयानन्द सरस्वती की पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश 30 रुपये, संस्कार हमारे जीवन का आधार 30 रुपये और स्वामी श्रद्धानन्द की हिन्दू संगठन 10 रुपये में उपलब्ध है। गायत्री ज्ञान मंदिर के स्टाल पर आचार्य श्रीराम शर्मा की लिखी 3200 सौ में से अधिकांश पुस्तकों के संग पूजन इत्यादि की शुद्ध सामग्री भी है। यहां तीन रुपये से लेकर ढाई सौ रुपये तक की किताबें हैं। 

सत्यमार्ग प्रकाशन के स्टाल पर मौ.राबे हसन नदवी की रहबरे इंसानियत…., नबियों के किस्से, मानवता का संदेश, इस्लाम एण्ड सिविलाइजेशन जैसी हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू की किताबें हैं। गुडवर्ड के स्टाल पर आकर्षक चिल्ड्रेन कुरआन स्टोरीज, दि विजन आफ इस्लाम, लीडिंग स्प्रिचुअल लाइफ जैसी पुस्तकें तीनों भाषाओं में हैं। 

रामकृष्ण मिशन के स्टाल पर रामकृष्ण परमहंस और विवेकानन्द साहित्य खासकर युवाओं को आकर्षित कर रहा है। ई लोकल शाप के स्टाल पर भी स्वामी योगानन्द और विवेकानन्द की पुस्तकें हैं। रामपुर रजा लाइब्रेरी के स्टाल की चित्रात्मक रामायण भी मेला आने वालों को लुभा रही है। 

मेला आयोजकों केटी फाउण्डेशन और फोर्स वन बुक्स की ओर से इस बीसवें मेले में अतिथियों पूर्व विधानसभाध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित, पद्मश्री विद्याविंदु सिंह के संग मेला आयोजक आस्था ढल व मनोज सिंह चंदेल ने अंगवस्त्र, स्मृतिचिह्न और पौधे देकर सम्मानित किया। 

सम्मानित होने वाले चयनित रचनाकारों में साहित्य शिरोमणि सम्मान से डा.विद्याविंदु सिंह, प्रो.सूर्यप्रसाद दीक्षित, शिवमूर्ति, नरेश सक्सेना, अखिलेश, डा.सुधाकर अदीब, दयानन्द पाण्डेय, महेन्द्र भीष्म, संजीव जायसवाल संजय, वीरेंद्र सारंग, डा.रजनी गुप्त, प्रो.कालीचरण स्नेही व सुल्तान शाकिर हाशमी और साहित्य रत्न सम्मान से डा.अमिता दुबे, हरेप्रकाश उपाध्याय, भगवंत अनमोल, डा.करुणा पाण्डे व पवन कुमार के नाम शामिल थे। 

इससे पहले साहित्यिक मंच ने कल जहां आगमन का समारोह सूर्यकुमार पाण्डेय के काव्यपाठ से विराम लिया, वहीं आज मां दुर्गा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के तत्वावधान में नरेंद्र भूषण की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन चला। 

अतिथियों डा. शोभा दीक्षित भावना, डा.हरि अग्रवाल हरी, अनीता श्रीवास्तव की उपस्थिति और डा.अलका अस्थाना के संयोजन, चन्द्रदेव दीक्षित के  संचालन में चले कार्यक्रम में शरद सिंह, मनमोहन बाराकोटी आदि ने काव्य पाठ किया। 

इसी क्रम में वाणी प्रकाशन की ओर से पत्रकार सुधीर मिश्र की पुस्तक मुसाफिर हूं यारों के लोकार्पण समारोह में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित, जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार, पल्लवी मिश्र, रवि भट्ट, रुद्रप्रताप दुबे, आफताब आलम और लेखक ने विचार व्यक्त किये। आज का समापन मीडिया फाउण्डेशन के साहित्यिक आयोजन से हुआ। 

महर्षि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों सहित भारी संख्या में शिक्षाविद्, विद्यार्थी व हिंदी साहित्य प्रेमियों की मौजूदगी में महिला विद्यालय डिग्री कालेज की शिक्षिका डा.रश्मि श्रीवास्तव की कृति ’विषय तथा अनुशासन की समझ’ का लोकार्पण में शैक्षिक मुद्दे उठाने के साथ उनके समाधान भी ढूंढने की बात सामने आई। 

राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी से प्रकाशित इस पुस्तक में ज्ञान की विविध शाखाओं के विकास क्रम, ज्ञान के आशय, स्रोत, प्रकार, ज्ञान के सिद्धांत आदि का लेखा जोखा है। कार्यक्रम में प्रोफेसर अखिलेश चौबे ,अनुराधा तिवारी, अलका प्रमोद,अमित दुबे, अवधेश श्रीवास्तव वा सपन अस्थाना व शोध छात्रा प्रियंका जोशी ने विचार रखे। 

प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन की अंग्रेजी किताब द कलेक्टर टुडे व इसके हिन्दी संस्करण जिलाधिकारी का विमोचन आईएएस हीरालाल, प्रो.अरविंद मोहन इत्यादि की उपस्थित में हुआ। इस मौके पर प्रो.अरविंद ने लेखक से किताब और उनके अनुभवों को लेकर बातचीत की। 

करीब चार दशकों का प्रशासनिक अनुभव रखने वाले  लेखक ने बताया कि जिलाधिकारी का काम चुनौतीपूर्ण और बहुआयामी होता है। उसे सरकार की नीतियों और परिकल्पनाओं को काग़ज़ से निकलकर यथार्थ रूप में कार्यान्वित करने के साथ ही जनता की समस्याओं और अपेक्षाओं से भी सीधे जुड़ना होता है। पुस्तक जिलाधिकारी की इन्हीं ज़िम्मेदारियों का बहुत विश्वसनीय और सघन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। 

01 अक्टूबर के कार्यक्रम

11ः00 बजे – निखिल प्रकाशन की संगोष्ठी व सम्मान समारोह 

04ः00 बजे – अंशुमा दुबे की पुस्तक का लोकार्पण 

05ः30 बजे – एक्सीलेंस अवार्ड समारोह-2023 समारोह

07ः30 बजे – ख्वाहिश फाउण्डेशन की ओर से पुस्तक लोकार्पण व संगोष्ठी

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