Thursday, November 21, 2024
HomeHOMEPragyesh Singh: लखनऊ के प्रज्ञेश सिंह ने बनायी फिल्मोद्योग में पहचान

Pragyesh Singh: लखनऊ के प्रज्ञेश सिंह ने बनायी फिल्मोद्योग में पहचान

मुंबई में संपन्न हुआ 5वाँ गोल्डन जूरी फिल्म फेस्टिवल (Golden Jury Film Festival)

Pragyesh Singh: लखनऊ के प्रज्ञेश सिंह ने बनायी फिल्मोद्योग में पहचान अपनी परिकल्पना में गोल्डन जूरी फिल्म फेस्टिवल (को पांचवीं बार भव्य रूप में मुम्बई में साकार कर राजधानी लौटे फिल्म लेखक और निर्देशक प्रज्ञेश सिंह ने बताया कि उनके द्वारा स्थापित इस फिल्म समारोह का अगले वर्ष होने वाला छठा संस्करण और भव्य और दर्शनीय होगा। अमेठी में जन्मे लखनऊ निवासी प्रज्ञेश सिंह हाल में ही गोल्डन जूरी फिल्म फेस्टिवल का पांचवां वार्षिक संस्करण सम्पन्न कराकर लौटे हैं।

Pragyesh Singh ने बताया कि उन्होंने इस फेस्टिवल की नींव 2019 में रखी थी, जो समय के साथ बड़ा होता जा रहा है। इस फेस्टिवल की जड़ें लखनऊ से जुड़ी हैं और इस बार समारोह को प्रायोजक के तौर पर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग से मिले सहयोग ने और भव्य और व्यापक बना दिया।

फेस्टिवल के प्रबंधन में सिनमैटोग्राफर शुभ्रांशु दास की अहम भूमिका रहीं तो समारोह में तेजस्विनी कोल्हापुरे, बृजेंद्र काला, यशपाल शर्मा, अतुल तिवारी, अतुल श्रीवास्तव, इनामुल हक, विक्रम कोचर, आदित्य श्रीवास्तव, राजेश जैस, शिशिर शर्मा, पीयूष मिश्रा, स्मिता जयकर, मुकेश भट्ट सहित कई जानी मानी हस्तियां शामिल रहीं।

Pragyesh Singh: साथ ही समारोह में नए और उभरते हुए फिल्मकारों को एक मंच प्रदान कर कलात्मकता और नवाचार के लिए सम्मानित किया गया। इस फेस्टिवल का उद्देश्य भारतीय सिनेमा के विविध रूपों का जश्न मनाना और नई प्रतिभाओं को पहचानना भी है।

इस वर्ष के समारोह में सिनेमा के विभिन्न आयामों को उजागर करने वाली फिल्मों का प्रदर्शन किया गया, जिससे दर्शकों को अद्भुत और यादगार अनुभव प्राप्त हुआ। गोल्डन जूरी फिल्म फेस्टिवल ने अपने पांचवें वर्ष में भी अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखा और यह अब प्रमुख फिल्म समारोहों में से एक बन गया है।

Pragyesh Singh ने बताया कि इस फिल्म फेस्टिवल का उद्देश्य है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन या बाजार भर बनकर ना रह जाये, परन्तु सिनेमा आने वाले कल की पीढी के लिए एक तार्किक सोच और मनुष्यता की महत्ता को बनाए रखने के लिए एक पाठशाला के रूप में संस्कारों का विकास कर सके। सिनेमा की लाइट आने वाले कल की पीढी के लिए मार्ग पर प्रकाश डालती है, जिस तरह का सिनेमा लोग देखेंगे उसी मे संभावनाए तलाशते हैं।

हम उम्मीद करते हैं कि गोल्डन जूरी फिल्म फेस्टिवल आने वाले वर्षों में भी इसी तरह भारतीय सिनेमा को समृद्ध करता रहेगा और नयी प्रतिभाओं के लिए मार्गदर्शक बना रहेगा।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब सेंसर बोर्ड को उम्र के वर्गीकरण के अतिरिक्त हिंसा और संवेदना का वर्गीकरण भी करना चाहिए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News

Recent Comments