Lok Pariksha Vidhayak: केंद्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनियमितताओं से सख्ती से निपटने के लिए कड़े प्रावधान किए हैं। सोमवार को लोकसभा में पेश लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक-2024 में परीक्षाओं में गड़बड़ी करने पर अधिकतम 10 साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में इस विधेयक को मंजूरी दी थी।
केंद्रीय कर्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सदन में इसे पेश करते हुए कहा, पिछले कुछ वर्षों में प्रश्नपत्र लीक होने के मामलों ने लाखों छात्रों और अभ्यर्थियों के हितों को प्रभावित किया है। इसे रोकना जरूरी है। ऐसा नहीं करना लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।
बजट सत्र की शुरुआत पर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि सरकार परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी को लेकर युवाओं की चिंताओं से अवगत है। उन्होंने कहा, इस दिशा में सख्ती लाने के लिए नया कानून बनाने का निर्णय लिया गया है।
सरकारी सूत्रों ने बताया, प्रस्तावित विधेयक में विद्यार्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा। इसमें संगठित अपराध, माफिया और साठगांठ में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। अगर धांधली के कारण परीक्षा रद्द हुई, तो उस पूरी परीक्षा का खर्च दोषी पाए गए सेवा प्रदाताओं व संस्थाओं को देना होगा।
उच्च स्तरीय तकनीकी समिति के गठन का प्रस्ताव विधेयक में उच्चस्तरीय तकनीकी समिति के गठन का भी प्रस्ताव है। यह कम्प्यूटर के जरिये परीक्षा प्रक्रिया को और सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिशें करेगी। इस केंद्रीय कानून के दायरे में संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं व केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षाएं भी आएंगी।
प्रतिभाओं को संरक्षण देने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया था। प्रस्तावित कानून का सारा जोर व्यक्तियों, संगठित माफिया व पेपर लीक, पेपर हल करने, प्रतिरूपण, कंप्यूटर संसाधनों के हैकिंग में लगे संस्थानों पर नकेल कसना है।
बिल में पर्चा लीक करने, दूसरे की जगह परीक्षा देने, प्रश्नपत्र हल करने या इसमें मदद करने, परीक्षा केंद्र के बजाय अन्य जगह पर परीक्षा कराने, परीक्षा में गड़बड़ी की रिपोर्ट नहीं करने पर तीन से पांच साल की जेल की सजा और दस लाख रुपये तक का जुर्माना तय किया है। कंप्यूटर आधारित केंद्रों पर परीक्षा का संचालन करने वालों को कदाचार साबित होने पर एक करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
धांधली के कारण परीक्षा रद्द हुई तो इसका खर्चा दोषी पाए गए सेवा प्रदाताओं व संस्थाओं को भुगतना होगा। इसके अलावा शीर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राष्ट्रीय मानक भी तैयार किए जाएंगे।