Urmil Rang Utsav: अगर हम आपस में एका नहीं बनाये रखेंगे तो कोई भी हमें टुकड़ों में बांट सकता है। डा.उर्मिल कुमार थपलियाल फाउंडेशन द्वारा संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर में चल रहे उर्मिल रंग उत्सव की चौथी शाम आज बंटवारे की आग नौटंकी के छंदों में दर्शकों को कुछ ऐसा ही बता गयी।
नौटंकी विधा के उत्थान के लिए लम्बे अरसे तक काम करने वाले विनोद रस्तोगी की लिखी इस नौटंकी को अजय मुखर्जी के परिकल्पना एवं निर्देशन में प्रयागराज के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के कलाकारों ने मंच पर उतारा था।
नौटंकी ‘बंटवारे की आग’ एक किसान परिवार की कहानी है। दो भाइयों श्यामू और रामू के आपसी प्रेम और सुख शान्ति के बीच धूर्त नौरंगीलाल बड़ी चतुराई से फूट डाल देता है। इससे परिवार में कलह शुरू हो जाती है। भाइयों में बंटवारे की नौबत आ जाती है। बाद में छोटे भाई रामू को अपनी गलती का अहसास होता है। अंततः दोनों भाई आपस में मिल जाते हैं।
व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो अभिव्यक्ति और मनोरंजन का सशक्त माध्यम रही लोक विधा नौटंकी में प्रस्तुत
एक किसान परिवार के बंटवारे की कहानी के माध्यम से देश के बंटवारे और ऐसी साजिशों को भी टटोल और समझ सकते हैं। मूलतः ये नौटंकी जाति, धर्म, प्रान्त, वर्ग आदि के भेद भुलाकर एक रहने को प्रेरित करती है।
प्रस्तुति में नट-1 व नट-2 में मंच पर क्रमशः शुभम वर्मा व कृष्ण प्रताप सिंह उतरे तो बूढ़ा किसान अभिलाष नारायन थे। इनके साथ श्यामू- रोहित यादव, रामू- दिग्विजय सिंह, नौरंगी- अनुज कुमार, बड़ी बहू- प्रतिमा श्रीवास्तव और छोटी बहू- अहोना भट्टाचार्या बनी थीं। नौटंकी में संगीत और हारमोनियम वादन उदयचंद्र परदेसी का, नक्कारा वादन बिंदेश्वरी प्रसाद का और ढोलक वादन प्रवीण कुमार श्रीवास्तव का था। कोरस में शशांक, उत्कर्ष, शुभम, प्रतीक, हिमांशु, शांकू शामिल रहे।
पार्श्व में प्रकाश संयोजन सुजॉय घोषाल का, रूपसज्जा संजय चौधरी की रही। प्रस्तुतकर्ता आलोक रस्तोगी थे। इस अवसर पर अतिथि के तौर पर अभिनेता डा.अनिल रस्तोगी ने कहा कि डा.थपलियाल के पैंतीस नाटकों में उन्होंने अभिनय किया। सबसे पसंदीदा नाटक यहूदी की लड़की रहा। रंग उत्सव के अंतिम दिन कल शाम रसरंग फाउंडेशन कानपुर के कलाकार व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की कहानी पर आधारित नौटंकी इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर का मंचन नीरज कुशवाहा के निर्देशन में करेंगे।