Arvind Kejriwal ED: दिल्ली के कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने सप्लीमेट्री चार्जशीट दायर करते हुए पहली बार आम आदमी पार्टी और इसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को आरोपी बनाया।
बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी राजनीतिक दल को पीएमएल केस में आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा कथित घोटाले में पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री को भी आरोपी बनाया गया।
ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली कथित शराब घोटाले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पूरक आरोपपत्र दायर किया है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इस मामले में दायर यह 8वां आरोप पत्र है। इस चार्जशीट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का नाम आरोपी के तौर पर दर्ज है। इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ दायर यह पहली चार्जशीट है।
गौर करें तो ये पहली बार है कि एक मौजूदा मुख्यमंत्री और एक राजनीतिक दल को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करना पड़ा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा आने वाले दिनों में ईडी द्वारा दायर की गई 200 पृष्ठों के इस आरोप-पत्र पर संज्ञान ले सकती हैं।
सूत्रों की मानें तो आरोपियों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाने की मांग की गई है।
गौर करने वाली बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 50 दिन तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रहने के बाद दिल्ली के सीएम Arvind Kejriwal को चुनाव प्रचार के लिए 1 जून तक की अंतरिम जमानत दी थी। हालाँकि उनकी जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने कहा था कि वह इस घोटाले में जल्द ही आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाने जा रही है। ईडी अब तक इस मामले में सात आरोप पत्र दायर कर चुकी है।
ईडी ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि मनीष सिसोदिया और के कविता के साथ अरविंद केजरीवाल भी इस मामले के मास्टरमाइंड हैं। साथ ही कहा है कि पीएमएलए की धारा 70 के तहत आम आदमी पार्टी कंपनी के रूप में मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी है।
ईडी का कहना है कि जांच से पता चला है कि इस घोटाले से प्राप्त आय का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने अपने गोवा चुनाव अभियान के लिए किया।
बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू किया था। जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी। इसमें नीति में गड़बड़ी होने के साथ ही तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने CBI जांच की सिफारिश की थी। सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थीं और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। हालांकि मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति वापस ले ली थी।