Diwali: दिवाली पर अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर करीब 2 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो जाएगी। वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक दिवाली की शाम के समय जब लक्ष्मी पूजा होगी उसी दौरान 5 राजयोग का निर्माण भी होगा। इसके अलावा आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेगा। इस तरह से दिवाली 8 शुभ योगों में मनाई जाएगी।
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का मुहूर्त- 12 नवंबर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 05 बजकर 40 मिनट से शाम 07 बजकर 36 मिनट तक।
अवधि: 01 घंटा 54 मिनट
प्रदोष काल- 05:29 से 08:07 तक
वृषभ काल- 05:40 से 07 :36 तक
दिवाली महानिशीथ काल पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त- 11:39 से 12:31 तक
अवधि- 52 मिनट
महानिशीथ काल- 11:39 से 12:31 तक
सिंह काल- 12:12 से 02:30 तक
दिवाली शुभ चौघड़िया पूजा मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (शुभ)- 01:26 से 02:47 तक
सायंकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल)- 05:29 से 10:26 तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ)- 01:44 से 03:23 तक
उषाकाल मुहूर्त (शुभ)- 05:02 से 06:41 तक
कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि 12 और 13 नवंबर दोनों ही दिन रहेगी, लेकिन दिवाली का त्योहार 12 नवंबर को ही मनाया जाएगा। 12 नवंबर को दोपहर अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी ऐसे में रविवार की रात को ही लक्ष्मी पूजन के साथ दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। दरअसल हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजा हमेशा ही अमावस्या तिथि और प्रदोष काल के संयोग में ही करना चाहिए। इस कारण से 12 नवंबर को ही शुभ दीपावली मनाई जाएगी।
इस वर्ष छोटी और बड़ी दिवाली दोनों ही एक दिन यानी 12 नवंबर को ही मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार 12 नवंबर को सुबह तक रूप चौदस रहेगी फिर दोपहर ढाई बजे के बाद कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी। शास्त्रों के अनुसार दिवाली पर लक्ष्मी पूजन हमेशा अमावस्या की रात को होती है। इस वजह से दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा 12 नवंबर को रात को होगी। अमावस्या तिथि 13 नवंबर को दोपहर 3 बजे तक ही रहेगी।
इस साल दिवाली पर एक साथ 5 राजयोग देखने को मिलेगा। ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के होंगे। इन राजयोगों का निर्माण शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह योग मान-सम्मान और लाभ देने वाला साबित होता है। वहीं हर्ष योग धन में वृद्धि और यश दिलाता है। जबकि बाकी काहल ,उभयचरी और दुर्धरा योग शुभता और शांति दिलाता है। वहीं कई सालों बाद दिवाली पर दुर्लभ संयोग भी देखने को मिलेगा जब शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे। इसके अलावा दिवाली पर आयुष्मान और सौभाग्य योग का निर्माण भी होगा।