Monday, November 25, 2024
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Jaivik Kheti: जैविक खेती में नये प्रयोग बढ़ा रहे उत्पादन

Jaivik Kheti: लखनऊ से कुछ दूर हैदरगढ़ में युवा कृषि वैज्ञानिक वहां के किसानों के साथ जैविक खेती में उत्पादन बढ़ाने की नयी इबादत रचने में जुटे हैं।

बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में परिवर्तित करने में सक्रिय युवा आशीष सरोज, आकाश और‌ रूबी श्रीवास्तव आज के किसानों, विशेषकर युवा किसानों के लिए उदाहरण बन गये हैं।

पारम्परिक भूसे में मशरूम उत्पादन करने के विपरित गोबर में मशरूम उत्पादन करने वाले आशीष सरोज का मानना है कि अच्छी फसल के लिए पोषण युक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है।

मीरपुर सिद्धौर ब्लॉक हैदरगढ़ में दो साल मिट्टी की जांच प्रयोगशाला बनाकर इन्होंने यहां पास के खेतों की मिट्टी की जांच शुरू की। गोबर और अन्य वेस्ट पदार्थो के माध्यम से प्राकृतिक तौर पर खेतों में उर्वरता बढ़ाने वाले नाइट्रोजन,‌ फास्फोरस और पोटेशियम ‌जैसे रासायनिक तत्वों की आवश्यक मात्रा में भरपाई करवाकर जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

रूटरीज एसेन्शिएल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अर्बन बगीचा ब्रांड नाम से प्रारम्भ की गयी इस जैविक खाद को तैयार करने में तीस से चालीस दिन लगते हैं।

तीन-तीन इंच की परतों में क्रमशः गोबर, इन्टरफेस कल्चर का छिड़काव, सरसों की खली, बायो चार, नीम खली सलरी, कटी हुई जलकुंभी, कैस्टर केक सलरी, सआडसट, पोल्ट्री वेस्ट, कटी सब्जियों का वेस्ट, प्रेस मड, डिकम्पोज कल्चर की परतों को सात बार दोहराया जाता है।

साथ ही लगातार आठ दिन तक तापमान नापा जाता है, जो 100 से 120 डिग्री तक होता है। जब तापमान कम होने लगता है, उसके बाद आक्सीजन बढ़ाने के लिए पलटा जाता है। इस तरह से कई बार किया जाता है, जब तक वातावरण के सामान्य तापमान पर नहीं आ जाता। इसे पूर्ण रूप से मिलने के बाद सुखाकर पैकिंग की जाती है‌।

इस प्रकार से जैविक खाद को‌‌ बनाने के तरीके आशीष सऱोज, आकाश मिलकर किसानों को सिखा रहे हैं। इस अवसर पर उपस्थित किसानों ने बातचीत में बताया कि उन्हें यह तरीका बहुत फायदेमंद लगा। किसानों का कहना था कि इस खाद को मिलाने के बाद और कोई खाद मिलाने की जरूरत नहीं होती‌ और फसल भी दोगुनी हो जाती है।

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