Jharkhand Chunao: झारखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी और आजसू के बीच गठबंधन को लेकर सीटों का बंटवारा हो गया है। दोनों दलों के बीच इस बात पर सहमति बन गई है कि आजसू 11 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा जदयू के साथ बातचीत भी अंतिम चरण में है, जिससे जल्द ही कुछ और सीटों का बंटवारा तय हो सकता है।
बीते चुनाव की गलतियों से सबक लेकर सतर्क हुई बीजेपी
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आत्मविश्वास के साथ बिना गठबंधन के मैदान में उतरने का फैसला किया था। हालांकि, इसका खामियाजा उसे झामुमो की अगुवाई वाले यूपीए के हाथों सत्ता गंवाकर भुगतना पड़ा। आजसू के अलग चुनाव लड़ने की वजह से बीजेपी की सीटों की संख्या 37 से घटकर 25 रह गई। लोकसभा चुनाव में भी झटके खाने के बाद अब बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में पहले से ज़्यादा सतर्कता बरतने का फैसला किया है। इस बार बीजेपी, आजसू और जदयू के साथ मिलकर झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन का सामना करेगी।
अमित शाह की बैठक में हुआ सीटों का बंटवारा
बीते शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें आजसू को 11 सीटें देने पर सहमति बनी। इसके अलावा, बीजेपी ने जदयू को 4 से 6 सीटें देने की योजना बनाई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, जदयू के साथ बातचीत अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, और संभवतः 2 अक्टूबर को पीएम मोदी की हजारीबाग में होने वाली जनसभा से पहले इस पर औपचारिक घोषणा हो सकती है।
एनसीपी विधायक कमलेश सिंह भी बीजेपी के खेमे में
इस बीच, बीजेपी ने एनसीपी के एकमात्र विधायक कमलेश सिंह को भी अपने पक्ष में कर लिया है। कमलेश सिंह 3 अक्टूबर को बीजेपी में शामिल होंगे, जिससे पार्टी की स्थिति और मजबूत होगी। झारखंड विधानसभा की 81 सीटों में से बीजेपी ने आजसू को 11 सीटें देने का फैसला किया है, जबकि शुरुआत में आजसू 13 सीटों की मांग कर रही थी। वहीं, जदयू 10 सीटों की मांग कर रहा था, लेकिन सूत्रों के अनुसार, उसे 6 सीटें मिलने की संभावना है।
बीजेपी इस बार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती
बीजेपी ने पिछले चुनाव में आत्मविश्वास के साथ बिना गठबंधन के चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था, लेकिन इसका परिणाम उसके पक्ष में नहीं रहा। आजसू के अलग चुनाव लड़ने की वजह से बीजेपी की सीटें 37 से घटकर 25 रह गईं, जबकि आजसू को भी 2 सीटें मिल पाईं, जिसमें उन्हें 3 सीटों का नुकसान हुआ। वहीं, झामुमो को 30, कांग्रेस को 16 और राजद को 1 सीट मिली, जिससे यूपीए की सरकार सत्ता में आई।
भाजपा की रणनीति: आदिवासी वोट बैंक में सेंध
इस बार भाजपा की रणनीति गठबंधन के सहारे अगड़े-पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को साधने और झामुमो के आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने की है। बीते चुनाव में हार के बाद बीजेपी ने जेवीएम का पार्टी में विलय कर अपनी स्थिति को मजबूत किया। लोकसभा चुनाव में सुरक्षित सीटों पर मिली हार के बाद पार्टी ने हेमंत सोरेन के करीबी और पूर्व सीएम चंपई सोरेन को साधकर झारखंड में अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश की है।
निष्कर्ष
झारखंड चुनाव में बीजेपी किसी भी तरह का जोखिम उठाने के मूड में नहीं है। आजसू के साथ गठबंधन के जरिए पार्टी झामुमो के आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेगी। वहीं, जदयू के साथ भी सीटों का बंटवारा लगभग तय हो चुका है।