मनसे चीफ राज ठाकरे ने इशारों-इशारों में कह डाला
Maharashtra Diary: काका पवार और भतीजे पवार की चल रही तुकबंदी और पत्रकार और जनता और नेता बिरादरी की ताकधिनाधिन को सुनते हुए कई दिन बीत चले हैं। कई बातें पवार साहेब के बारे में याद आ रही हैं। विरोधी दल उनके पारिवारिक फूट का दोषी हमेशा की तरह परधानमंत्री को ठहरा रहे हैं। तो मुझे भी कुछ कहने की इच्छा होती जा रही है, क्योंकि मैं भी महाराष्ट्र राज्य में यूपी या बिहार से भी बदतर राजनीतिक हालात को देख रहा हूं। लेकिन महाराष्ट्र एक संपन्न प्रदेश है और यहां के सामान्य नगर सेवक (पार्षद) की हैसियत-रखरखाव की कीमत दोनों कृषि प्रधान राज्यों और राजनीतिक उर्वरा से हमेशा मज़बूत के एमपी-एमएलए से कम नहीं होती। बहरहाल, बात हो रही थी चचा पवार की और उनके बागी बने भतीजे और एनसीपी के कुछ शिष्यों की जो इस समय किसी अज़नबी खेमे में जाकर बच गए हैं। विपक्षी कह रहे हैं कि यह ईडी-सीआईडी-सीबीआई-आईटी के मारे नेता हैं, जिनको पवारभक्त कह सकते हैं। जब एमएनएस प्रारमुख ज ठाकरे ने दो वाक्यों में सारी बात कह दी कि पवार खेमे से अमुक-अमुक क्यों गए माला आश्चर्य वाटते…अणि सुप्रिया जी केंद्रीय मंत्री बनु शक्तो। राज ठाकरे पवार को उस समय से देख रहे हैं जब पवार सीनियर, स्व. बालासाहेब से मिलने मातोश्री रात के दो-तीन बजे जाते थे, ताकि पापाराजी टाइप के एलीमेंट मुलाकात को कैमराबंद न कर लें… खैर, मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे भी पवार साहेब के साथ हेलीकाप्टर की सैर कर चुके हैं, उनसे राजनीति का ककहरा सीखा है, उनकी अच्छी-बेजा आदतों से थोड़े वाकिफ हैं। और इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि चचा पवार के सैनिक पूरे मुल्क में फैले हुए हैं और उनसे बेहतर महाराष्ट्र में कोई राजनेता नहीं है जो दिल्ली दरबार की आहटें सुनते हुए महाराष्ट्र राज्य की नकेल अपने हाथों में पकड़ कर रखते हैं। इसीलिए मुझे भी आश्यर्य हो रहा है।
पटकथा काफी पहले की, प्रैक्टिकल दो साल से लैब में
Maharashtra Diary: अब इस खेल को समझने में थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा, मतबल उस समय जब चचा पवार, बालासाहेब की विरासत संभाल रहे उद्धव ठाकरे अपने पिता के कुछ ठोस सिद्धांतों को भुला बैठे। चीनी के चाशनी में डुबाकर उन्हें मुरब्बा बना दिया गया। फिर चचा पवार की मोदीजी और शाह जी से एक दो मुलाकात। और फिर शिवसेना की टूट का खेल समानंतर चालू। चचा ने उद्धव के सारथी संजय राउत को भी अपना भक्त बना लिया था। बहरहाल, चाचा के ऊपर इल्जाम लगे कि चचा पवार ने सेना तोड़वाई है लेकिन पवार साहब की दूसरी कवायद, घरेलू और शिष्यों की जांच से परेशानी की शिकाय़तें सुनते-सुनते चचा ने भतीजे को जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी, टाइप बगावत की इजाजत दे दी। अब इसके फायदे सुनिए।
सोनिया, विपक्षी दलों की सिंपैथी भी
Maharashtra Diary: सभी भतीजा और बेटी-बेटा पीड़ित नेताओं की सिंपैथी चचा पवार के साथ हो गई। मीडिया में छोटी सी पार्टी एनसीपी (कांग्रेस की तुलना में) पूरी चर्चा में आ गई। भारत जोड़ो आंदोलन का कचरा चचा पवार ने कर डाला। चचा ने पूरी राजनीतिक संपत्ति को सुरक्षित कर दिया। भतीजे को फिर से उपमुख्यमंत्री बना दिया। धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को कमजोर करने की सिंपैथी, अलग लूट ली। और सबसे बड़ी बात कि कांग्रेस के छुटभइया नेताओं का मुंह बंद कराने के लिए उन्होंने सीधे सोनिया गांधी से अपना दुख-दर्द बयान कर दिया। बता दिया कि आप सुखी हैं कि आपके कोई भतीजा नहीं है। कुछ दिन पहले ही वे अडाणी के साथ लंबी बैठक कर चुके थे। अगर विपक्षी यह मानते हैं कि अडाणी, सीधे मोदी से बात करते हैं तो चचा पवार ने अपनी बात मोदी तक भी पहुंचा दी। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मोदी अब पवार से मिलने में कतराते हैं। एक दिल्ली के पत्रकार जो अब एनडीटीवी संभालते हैं, ने पवार का इंटरव्यू भी कर लिया था। और चचा पवार ने सन-2014 में ही घोषणा कर दी थी कि उन्हें भाजपा का समर्थन करने में कोई गुरेज नहीं है।
भतीजे, शिष्यों का कल्याण अब नज़र अगली पीढ़ी पर
Maharashtra Diary: भतीजे को घर से निकाला देकर एक सधे हुए नेता की तरह उन्होंने भतीजे और अपने प्रिय शिष्यों को स्थापित करके (मंत्री बनवाते हुए) सीधे जनता के पास जाने का फैसला कर लिया। अब बताइए कि इसमें भोली जनता क्या करे। लेकिन चचा पवार को मालूम है कि भतीजे के अलावा अभी कुनबे में और भी लोग हैं जिन्हें सेट करना है। तो सेटिंग कैसे होगी, जब अपने रियासत महाराष्ट्र में राजा नहीं फकीर है कि तर्ज पर पवार साहब भ्रमण करेंगे। मराठी जनता भोली है, दुखी चचा को निराश नहीं करेगी, अब नई टीम की फिटिंग होगी। सत्तालोलुपता की एक उम्र होती है, और पार्टी चलाने के लिए जिस धनबल-जनबल की ज़रूरत होती है, वह पूरी पवार फैमिली के पास है। और उनकी यही सक्रियता अपने देवेंद्र भाई फडणवीस को परेशान करती है। पवार साहब अब परिवार की नई पौध को सींचेगे, बढ़ाएंगे। माता लक्ष्मी की कृपा उतने सीनियर मराठी नेता को कैसे हो सकती है। एक बार तो बहुत ही प्रबुद्ध अंग्रेजी भाषा के पत्रकार एमजे अकबर ने अपनी एक पत्रिका (शायद, कोहार्ट जो अब बंद हो चुकी है) में कह दिया था कि शरद पवार जी के पास इतनी संपत्ति है कि उनको खुद को नहीं पता। बहरहाल, इतना तो ज़रूर है कि पवार एक और एनसीपी अपने धन-बल से खड़ी कर सकते हैं।
मीडिया भी न गज़बे कर रही
Maharashtra Diary: इधर महाराष्ट्र से लेकर नई दिल्ली तक मीडिया बिरादरी इस नए नाट्क्रम का जमकर आनंद ले रही है। पूरे पवार कुनबे की बमबम। अरे भाई वे पवार हैं, सारे पत्ते मीडिया में खोलेंगे क्या। और ये बताएं कि कोई नेता अपने प्लान मीडिया में लीक करते हैं क्या। हां, तभी लीक करते हैं जब मीडिया को पीआर की तरह इस्तेमाल करना होता है। नहीं साहब, गलतफहमी की कोई दवा नहीं होती। भाजपा पर इस खेल को करने का आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, बल्कि आप सभी नेताओं की बॉडी लैंगवेज देखें। कहीं से कोई शिकन नहीं। सब कुछ बड़े ही आराम से हो रहा है। एनसीपी वीरों को अपने पाले में लाकर दिल्ली या राजधानी मुंबई के चाणक्य बहुत खुश हो रहे हैं। वे शायद भूल जाते हैं कि अबकी बार भाजपा-एनसीपी के इस फोटोसेशन में कई चेहरे हैं जिनको सज़ा दिलाने की छाती ठोंकी जा रही थी। तो, चचा पवार ने सबको भेज दिया कि अब मत कहना कि हमारी पार्टी के ये सिपाही भ्रष्टाचारी हैं। जनता की याददाश्त कमजोर होती है, यह बात शरद पवार जैसे राजनेता समझते हैं जिन्होंने अपना कैरियर महाराष्ट्र के कांग्रेस दिग्गजों के साथ शुरू किया और उत्तर भारत से राजनीतिक दांवपेंच चंद्रशेखर या खुद इंदिरा गांधी से सीखा है।
पवार का धोबिया पाट, अब नई पीढ़ी को मार्गदर्शन
अपने इस धोबिया पलट दांव से शरद पवार जहां विपक्षी एकता के एक सूत्रधार बने हैं, वहीं खूब सिंपैथी भी बटोर ली है। मुझे तो लगता है कि जिस परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई के दावे हो रहे थे उसकी हवा खुद शरद पवार ने निकाल दी है और उन्होंने न सिर्फ अपने भतीजे अजीत दादा समेत अपने प्रिय शिष्यों को एक थाली में रखकर परोस दिया है बल्कि अब अपने नाती-पोतों के भविष्य को सजाने की दिशा में काम करने की तैयारी कर दी है। उनकी होनहार पुत्री और सांसद ने उन्हें इशारा भी कर दिया है कि उठो बाबा, अभी बच्चन, टाटा, और ढेर सारे लोग काम-धंधे पर लगे हैं। और अपना काम भी जनता के पास चलना है, रोहित, मोहित और ढेर सारे गबरू जवान परिवार में। और अब तो दादा और आपके शिष्यों को सरकार बचाएगी, खुद महाराष्ट्र की और केंद्र की भी। तो, चचा जीते और भतीजा जीता। पूरा कुनबा जीता। हम, तो पूरी तरह से मानते हैं कि पवार साहेब अभी जनता के पास जाएंगे, जाते रहेंगे, परमेश्वर उनको लंबी उमर बक्शे।
- कुलदीप नारायण