Panchmukhi Hanuman Mandir: नववर्ष के उपलक्ष्य में बीरबल साहनी मार्ग श्री संकट हरण पंचमुखी हनुमान मंदिर ट्रस्ट के द्वारा वर्ष के प्रथम शनिवार को भाव उद्गार कार्यक्रम का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया। लोक आंगन साहित्य, संस्कृति व शिक्षा संस्थान की सचिव ज्योति किरन रतन के संयोजन में हुये आयोजन में काव्य पाठ और भजनों की रसधार बही। रचनाकारों और भक्तों ने अपने प्रभु के समक्ष अपने उद्गार कविताओ और भजनों से प्रकट किये। ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेशन और आईएम ए कल्चरल एण्ड एजूकेशन ट्रस्ट के सहयोग से हुये कार्यक्रम में काव्य पाठ का प्रारंभ डा.अशोक शर्मा ने मां वीणा वादिनी की वंदना- मैं तुम्हारे पाँव धोता जल बनूँ आकांक्षा है…. से किया।
कवि संजय मेहरोत्रा हमनवा ने श्रीकृष्ण की जादूगरी पर कहा- देखेगा एक रोज हमनवां कान्हा रूप सलोने वाले, ये अन्दाज ग़जब के उनके जैसे जादू टोने वाले….। अरविंद रस्तोगी धवल ने पढ़ा- रामगुण गाते हुए मधुर कंठ से कीजिए रामायण का गान, जहां राम गुणगान हो लगता स्वर्ग समान,
राम कल्याण करेंगे बेड़ा पार करेंगे। मन में प्रसन्नता रखने का संदेश देते हुए नंदलाल शर्मा चंचल बोले- जीवन हो खुशहाल जब हो जेब में प्रचुर माल।
डा.सरिता सदाबहार ने संस्कार और संस्कृति पर कहा- नीचा नहीं दिखाना हमको
प्रभु से नज़र मिलाना हमको, संस्कार संस्कृति समझाई बुरा नहीं कहलाना हमको।
महाकुंभ में प्लास्टिक को दूर करने की बात करते हुए कृष्णानंद राय ने सुनाया- कपड़े के झोले में गिलास थाली रखकर प्रयागराज जाना है, महाकुंभ को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। डा.शरद पाण्डे शशांक ने लक्ष्मण मूर्छा पर राम के उद्गार- बोल उठे रघुवीर अचानक… गीत में प्रस्तुत किए। गोबर गणेश के नाम से विख्यात कवि प्रदीप शुक्ला ने नववर्ष का स्वागत करते हुए कहा- प्रभु मुझ पर इतनी कृपा कीजिए, कुछ ज्ञान मुझको भी दीजिए,
गोबर का गोबर न रह जाऊं, नव वर्ष में मेरी अर्जी आप सुन लीजिए।
काव्यश्री सम्पत्ति कुमार मिश्र भ्रमर बैसवारी छन्दकार ने बेटी बचाओ पर कहा- बेटी बचाओ, बेटी पढाओ! प्यारी बानी है,
नवदुर्गे की माया की ये सुखद निशानी है।भारती पायल ने कहा-
करें सेवा पिता माँ की, सुखी जीवन हमारा हो। डा.हिमांशु सक्सेना अर्श लखनवी ने सुनाया – सुनो श्री राम की गाथा सभी को हम सुनाते हैं, सनातन धर्म की महिमा चलो मिल आज गाते हैं। युक्ति श्रीवास्तव ने पढ़ा- हर बार एक साल जाता है और एक नया साल आता है, कुछ पुराना जाता है कुछ नया आता है।
भजनों की श्रृंखला में रचना गुप्ता ने राम नाम को मुक्ति का साधन बताते हुए- राम का नाम मुक्ति का साधन…. सुनाया। इसके साथ अन्य कवियों- कवयित्रियों और प्रभु भक्तों ने भजन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में डा.अशोक शर्मा, डा.शरद पाण्डेय शशांक, मनमोहन बऻरऻकोटी, कृष्णानंद राय, नंदलाल शर्मा चंचल, महेशचंद गुप्ता, संजय मल्होत्रा हमनवां, अरविंद रस्तोगी, हिमांशु सक्सेना, भारती अग्रवाल, पायल, सरिता कटियऻर, सुनीता चतुर्वेदी, युक्ति श्रीवास्तव, प्रवीण शुक्ला, गोबर गणेश, नवनीता, सुषमा प्रकाश, सुधा द्विवेदी, शकुन्तला श्रीवास्तव, साधना मिश्रा, मनु राय, डा. तेजस्वी गोस्वामी , डा.उषा बाजपेई, डा.अपूर्वा अवस्थी गीतिका श्रीवास्तव कल्पना उप्रेती, स्मिता तिवारी व ऊषा यादव ने कविताओं और भजनों की रसधार प्रवाहित की।