PM Modi on Congress: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहाकि कांग्रेस ने ‘खून चखने’ के बाद संविधान को बार-बार ‘लहूलुहान’ किया…इस पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही है।
जनहित के मुद्दों पर बेबाक टिप्पणी करने वाले कमल कुमार शुक्ल (Kamal Kumar Shukla) ने कांग्रेस को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर अपनी राय रखी है। उन्होंने लिखा कि – कांग्रेस के कार्य क्या केवल कुटिल थे, कतई नहीं। उस कालखंड में उचित-अनुचित की परवाह किए बिना भी बहुत से काम हुए, जो देश के हित में रहे हैं। जमींदारी उन्मूलन, मिश्रित अर्थ व्यवस्था, शैक्षिक संस्थानों की स्थापना आदि। कांग्रेस ने अपने काम रटवाये नहीं। आज कांग्रेस की समस्या यह है कि उसके ओपनर में आत्मबोध है, युगबोध नहीं है। वे घिसीपिटी लाइन ले रहे हैं। उससे बाहर निकलना होगा। विपक्षी को सांगोपांग जानें। सावरकर, गोलवरकर या मनु स्मृति पर रोने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। जन मन क्या चाहता है, उस पर सुविचारित मत व्यक्त करने की रणनीति तैयार करें। मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। एकाकी परिवार पर निर्भरता हानिकारक है। प्रधानमंत्री जी ने एक लाख नये नेता तैयार करने के लिए कदम बढ़ा दिया है। गोपाल दास ‘नीरज‘ की लाइनें …
“आंख जब तलक खुली कि हाय धूप ढल गई,
पांव जब तलक उठे कि जिंदगी फिसल गई, …
कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे।”
कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि यह शेर जीवन की अस्थिरता और समय के तेजी से गुजरने की अनुभूति को व्यक्त करता है। बस महसूस करने की बात है।
वहीं इसी विषय पर M Shahre Alam Misbahi लिखते हैं कि Ulta chor Kotwal ko dante.