Sahaitya Parishad: अखिल भारतीय साहित्य परिषद लखनऊ दक्षिण द्वारा रामोत्सव संगोष्ठी का आयोजन संरक्षक प्रो. हरि शंकर मिश्रा के आवास पर संपन्न हुआ। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। मां सरस्वती तथा भगवान श्री राम के चित्र पर मंचस्थ विभूतियों ने माल्यार्पण किया। डॉ. प्रिया सिंह के संचालन में ये कार्यक्रम संपन्न हुआ।
श्री रामोत्सव संगोष्ठी कार्यक्रम का शुभारंभ वाणी वंदना से हुआ। बीजवक्ता के रूप में प्रो.नीतू शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रभु श्रीराम और अयोध्या जी में नवनिर्मित श्रीराम मन्दिर जातीयता, संप्रदाय, क्षेत्रीयता और राष्ट्रीयता की सीमाओं से परे जाकर समूची मानवता को एकाकार करते जा रहे हैं।
Sahaitya Parishad: मुख्य वक्ता प्रो. हरि शंकर मिश्रा ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में श्रीराम नाम महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि आज एक राष्ट्र के रूप में भारतवर्ष पर मानवता का कल्याण करने हेतु सर्वे भवन्तु सुखिनः को साकार करने का दायित्व है। जिसकी प्राप्ति सांस्कृतिक नायकों की पुनर्प्रतिष्ठा से ही संभव है। यदि भारत की संस्कृति और भारत को समझना है तो राम को समझना होगा।
विशिष्ट वक्ता के रूप में प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्ववेत्ता अमित शुक्ला ने राममंदिर के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की बात सामने रखी।
कोषाध्यक्ष डॉ. सुरसरि तरङ्ग मिश्र ने रामचरित मानस की चौपाइयों से वातावरण को रसमय बना दिया। इसके पश्चात् डॉ. प्रीति अग्रवाल ने राम कथा से जुड़े रोचक प्रसंग सामने रखे। डॉ. धीरेंद्र कौशल ने अपने मुक्तकों से समा बांध दिया।
Sahaitya Parishad: डॉ. सुधांशु बाजपेयी ने कहा कि भौगोलिक, सांस्कृतिक रूप से भिन्न होते हुए भी राम मन्दिर को लेकर जन मानस में उत्साह है। संगीता पाल ने राम भजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन डॉ पूनम सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।