Sunday, September 8, 2024
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Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया

Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: टनल में फंसे सभी 41 मज़दूरों को रैट माइनर्स टीम के सहयोग से सुरंग के अंदर से सकुशल निकालने में सफलता मिली। मजदूरों के बाहर आने से सभी ने चैन की सांस ली है. ‘ऑपरेशन सिल्कयारा’, हिम्मत और हौसले की कहानी बयां करती है.

Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: 41 मजदूरों ने 17 दिनों तक सुरंग में फंसे रहने के बाद भी अपना हौसला नहीं छोड़ा और जीने की आस बनाए रखी. इसी का नतीजा रहा कि मंगलवार (28 नवंबर) को सभी मजदूरों को सकुशल सुरंग से बाहर निकाल लिया गया.

उत्तराखंड के उत्तराकाशी जिले के सिलक्यारा में एक सुरंग ढह गई. इस हादसे में सुरंग में 41 मजदूर फंस गए थे, जो 17 दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मंगलवार (28 नवंबर) को उससे बाहर आए. भारतीय सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी विभिन्न एजेंसियों ने मिलकर संयुक्त बचाव अभियान चलाया, जिसके बाद ये मजदूर पहाड़ का सीना ‘चीरकर’ सुरंग से बाहर निकल आए. सभी मजदूर स्वस्थ हालात में बताए गए हैं. 

Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: सुरंग से पहला मजदूर रात 7.56 बजे बाहर आया. इसके बाद एक-एक करके सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता के लिए बचावकर्मियों की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को सलाम करता हूं. उनकी बहादुरी ने हमारे मजदूर भाइयों को नया जीवन दिया है.’ ऐसे में आइए आपको ‘ऑपरेशन सिलक्यारा’ की पूरी कहानी बताते हैं.

Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: 12 नवंबर को दिवाली वाले दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राजमार्ग पर सिल्कयारा-दंदालगांव सुरंग में भूस्खलन के बाद 41 मजदूर फंस गए. आनन-फानन में उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को घटना की जानकारी मिली और वह अगले ही दिन मजदूरों से मिलने घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई पाइप के सहारे मजदूरों से बात की और रेस्क्यू तेज करने का आदेश दिया. 

रेस्क्यू ऑपरेशन के शुरुआती चरण में 14 नवंबर से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की शुरुआत की गई. इसके लिए ऑगर मशीन की मदद ली गई, जिसके जरिए सुरंग खोदकर उसमें 800-900 एमएम की स्टील पाइप को फिट करना था. हालांकि, मलबे की चपेट में आकर दो मजदूर घायल हो गए. मजदूरों को जिस पाइप के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही थी, ठीक उसी पाइप के सहारे उन्हें खाना, पानी और दवाएं भी पहुंचाई जाने लगीं. 

Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: रेस्क्यू ऑपरेशन के शुरुआती दिनों में ज्यादा सफलता नहीं मिल रही थी. ड्रिलिंग मशीन का भी कुछ खास फायदा होता हुआ नजर नहीं आ रहा था. अंदर फंसे मजदूरों की हालत को देखते हुए ‘एनएचआईडीसीएल’ ने दिल्ली से एडवांस्ड ऑगर मशीन मंगाई. समय की किल्लत को देखते हुए इसे एयरलिफ्ट कर यहां पहुंचाया गया. 16 नवंबर को नई ड्रिलिंग मशीन को असेंबल कर इंस्टॉल किया गया. लेकिन रात में जाकर इसके जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ. 

Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: सुरंग में करीब 400 घंटे तक फंसे रहे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में बमुश्किल एक घंटे का समय लगा। 17 दिन तक बचाव अभियान उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच झूलता रहा। मंगलवार को जब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री वीके सिंह सिलक्यारा पहुंचे और मुख्यमंत्री भी सिलक्यारा लौटे तो संकेत साफ हो गए कि आज मजदूरों के अंधेरी सुरंग से बाहर निकलने का समय आ गया है। शाम होते ही खबर आ गई। 12 नवंबर को दिवाली के दिन 4 मजदूर सुरंग में फंसे थे और 17वें दिन बाहर निकले। 

राज्य और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियां, अधिकारी और कर्मचारियों ने जी-तोड़ मेहनत और जज्बे से इस मिशन को मुकाम तक पहुंचाया है। केंद्र और राज्य सरकार की तमाम टीमें पूरे 17 दिन तक पूरी तन्मयता और मनोयोग से रेस्क्यू में जुटी रहीं।

 Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: मुख्यमंत्री धामी निरंतर स्थलीय निरीक्षण करने साथ ही रेस्क्यू टीमों की हौसला-अफजाई करते रहे। रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड शासन, जिला प्रशासन, थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई। 

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