- यज्ञकर्ता, परिवार और समाज को मिलता है फायदा
- पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति का उपाय है अग्निहोत्र
Vedic Yajna Agnihotra: अवध अग्निहोत्र संघ लखनऊ के तत्वावधान में अग्निहोत्र जयन्ती के पावन अवसर पर आज शाम निर्धारित सूर्यास्त वेला में अलकनंदा अपार्टमेंट गोमतीनगर विस्तार में सामूहिक वैदिक यज्ञ अग्निहोत्र कराया गया।
यज्ञ में बड़ी संख्या में आगंतुकों और अग्निहोत्र-कर्ताओं ने 25 हवन पात्रों में अग्निहोत्र कर इसके महत्व को जाना। सामूहिक अग्निहोत्र से पूर्व महामृत्युंजय का पाठ और यज्ञ भी हुआ। युग प्रवर्तक माधव स्वामी पोतदार साहब ने प्रथम बार 22 फरवरी 1963 शिवरात्रि के दिन से अग्निहोत्र के महत्व का प्रचार प्रसार प्रारम्भ किया था। बैरागढ़ भोपाल में 61 वर्ष पूर्व प्रारंभ किये गये अग्निहोत्र यज्ञ को जगह जगह 22 फरवरी को अग्निहोत्र जयंती के रूप में पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
इसी क्रम में आज हुये यज्ञ में आयोजन कर्ताओं द्वारा कार्यक्रम में आये सभी लोगों को अग्निहोत्र पत्रक और बूंदी प्रसाद भी बांटा गया। प्रामाणिक वैदिक अग्निहोत्र के असीमित लाभ न केवल यज्ञकर्ता को, बल्कि उनके परिवार, समाज और इस पूरी सृष्टि को प्राप्त होते हैं। अग्निहोत्र पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति का सबसे सरल सहज एवम सुगम उपाय है। अग्निहोत्र एक ऐसा सूक्ष्म यज्ञ है जिस पर बहुत कम खर्च में असीमित लाभ मिलता है।
वस्तुतः ये परमपिता परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता या धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए ,प्रतिदिन सूर्योदय और सूर्यास्त के निश्चित समय पर गाय के घी से मिश्रित दो चुटकी साबुत चावल अक्षत को गाय के कंडों पर अग्नि प्रज्वलित कर आहुति देकर किया जाता है, जो शारीरिक मानसिक और तमाम प्रकार की विषाणु जनित बीमारियों को वातावरण से शीघ्र मिटाने में समर्थ है। जिसे वैज्ञानिकों ने सिद्ध भी किया है।
सामूहिक अग्निहोत्र यज्ञ का कार्यक्रम, अवध अग्निहोत्र संघ के रामचंद्र के निर्देशन में सतीश गुप्ता, डा.निशिकांत मिश्र, अनुपम दीक्षित, विजय अग्निहोत्री आदि के सहयोग से अत्यंत सफल रहा।