Bio Diversity Day: वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की दूसरी समिति की बैठक के बाद से हर साल 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस मनाया जाता है।
बता दें कि ग्रह के संतुलन को बनाए रखने के लिए जैव विविधता ज़रूरी है। यह पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की आधारशिला है, जो पूरी तरह से मानव कल्याण से जुड़ी है।
Bio Diversity Day: गौर करें तो जैव विविधता का प्रयोग धरती पर जीवन की विशाल विविधता का वर्णन करने के संदर्भ में किया जाता है। इसका उपयोग विशेष रूप से एक क्षेत्र या पारिस्थितिकी तंत्र में सभी प्रजातियों को संदर्भित करने के लिए किया जा सकता है। जैव विविधता पौधों, बैक्टीरिया, जानवरों और मनुष्यों समेत हर जीवित चीज को संदर्भित करती है।
इसे अक्सर पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की विस्तृत विविधता के संदर्भ में समझा जाता है, लेकिन इसमें प्रत्येक प्रजाति में विद्यमान आनुवंशिक अंतर भी शामिल होता है।
Bio Diversity Day: जैव विविधता को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय के पर्यटन अध्ययन संस्थान से जुड़े डॉ. शालिक राम पाण्डेय ने जैव विविधता और भारतीय संस्कृति से जुड़े रोचक तथ्यों को बताया है।
- भारतीय संस्कृति ही जैव विविधता को संरक्षित कर सकती है।
- भारत की लोक परंपराओं और संस्कृति में जैव विविधता को संरक्षित करने का संदेश पग-पग पर मिलता है।
- भगवत गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि मैं सृष्टि के कण-कण में समाहित हूं, यदि मानव जीवों के प्रति अमर्यादित आचरण करता है तो वह मुझे ही कष्ट पहुंचाता है। धर्मानुसार आचरण एवं अहिंसा पर जोर दिया गया है।
- महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी और महात्मा गांधी ने अहिंसा पर जोर दिया।
- विश्व में पहली बार कहीं जैव विविधता को संरक्षित करने का प्रमाण मिलता है तो वह भारतीय शास्त्रों में है।
- भारतीय शास्त्रों में हजारों साल पहले चौरासी हजार योनियों अर्थात जैव प्रजातियों का वर्णन मिलता है, लेकिन जब पाश्चात्य विद्वान ई ओ विल्सन ने एक करोड़ जैव प्रजातियों का उल्लेख किया तो उसे जैव विविधता का जनक माना गया। जो दुर्भाग्य है।
- भारतीय संस्कृति सदैव मानव और प्रकृति के साहचर्य सम्बन्ध पर जोर देती है, लेकिन पाश्चात्य संस्कृति प्रकृति पर विजय पाना चाहती है, जो आज सभी समस्याओं का प्रमुख कारण है।
- महात्मा गांधी कहते हैं कि इस धरती में मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने की पूर्ण शक्ति है, लेकिन वह उसके लोभ को पूरा नहीं कर सकती। आज जो भी समस्या है वह मानव का लोभ ही है।
- भारतीय संस्कृति और धर्म में स्थान-स्थान पर जीवों के प्रति दया और उनके संरक्षण को मनुष्य के मुख्य कर्तव्य के रूप में जोड़ा गया है, जिससे कि प्रकृति में सामंजस्य स्थापित रहे।
डॉ पाण्डेय कहते हैं कि वैश्विक स्तर पर जैव विविधता में भारी गिरावट आ रही है। बीते 50 वर्षों से भी कम समय में 68 प्रतिशत वैश्विक प्रजातियों के नष्ट होने की बात बताई जा रही है, जबकि पहले प्रजातियों में इतनी गिरावट नहीं देखी गई। ऐसे में जैव विविधता को उच्च स्तर पर बनाए रखना संभव नहीं हैं। और इसको लेकर सरकारों को सोचना चाहिए।
Bio Diversity Day: ऐसे में जैव विविधता के संरक्षण की आवश्यकता है। और जैव विविधता के संरक्षण से पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होती है, जहां प्रत्येक प्रजाति, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, सभी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
इससे पौधों की प्रजातियों की एक बड़ी संख्या के होने से फसलों की अधिक विविधता होती है।
जैव विविधता के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर संरक्षण किया जाना चाहिए, ताकि खाद्य श्रृंखलाएँ बनी रहें। खाद्य श्रृंखला में गड़बड़ी पूरे पारिस्थितिकी-तंत्र को प्रभावित कर सकती है।