Monday, November 25, 2024
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Madhumita Amarmani Case: मधुमिता शुक्ला मर्डर के दोषी अमरमणि त्रिपाठी 20 साल बाद सलाखों से बाहर

5 माह की प्रेग्नेंट मधुमिता शुक्ला का लखनऊ में हुआ था क़त्ल

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मधुमिता शुक्ला 5 महीने की प्रेग्नेंट थी

वीर रस की कवयित्री मधुमिता की आवाज़ में एक कशिश थी

अविवाहित मधुमिता के पेट में अमरमणि का बच्चा था

अमरमणि और उनकी पत्नी को अच्छे आचरण पर रिहा किया गया

Madhumita Amarmani Case: मधुमिता शुक्ला हत्याकांड (Madhumita Shukla Murder Case) के मुजरिम उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को 20 साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया। अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई पर उनके बेटे अमनमणि त्रिपाठी (Amanmani Tripathi) की भी प्रतिक्रिया सामने आ गई है। 

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड (Madhumita Shukla Murder Case) में उम्रकैद की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश (UP) के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी (Madhumani Tripathi) को रिहा कर दिया गया। अमरमणि और मधुमणि आज घर नहीं जाएंगे। दोनों अभी अस्पताल में ही रहेंगे। 

अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई पर उनके बेटे अमनमणि त्रिपाठी (Amanmani Tripathi) ने कहा है, “यह ऊपर वाले का आशीर्वाद है। 20 साल से हम अपने माता-पिता के लिए इसका इंतजार कर रहे थे। आज वह घड़ी आ गई है। मैं और मेरा परिवार सभी बहुत खुश हैं। हर कोई खुश है, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।” 

इससे पहले अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में कारागार विभाग की ओर से रिहा करने का आदेश जारी किया गया था। गोरखपुर के जेल अधीक्षक दिलीप पांडेय ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की थी।

यूपी शासन के कारागार प्रशासन और सुधार अनुभाग के विशेष सचिव मदन मोहन ने गुरुवार को राज्य की 2018 की रिहाई नीति का जिक्र करते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समय से पहले रिहाई संबंधी एक आदेश जारी किया था। अधिकारी ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विभाग ने उनकी वृद्धावस्था और जेल में अच्छे आचरण का जिक्र किया। अमरमणि की उम्र 66 साल और मधुमणि 61 साल की हैं। इस समय अमरमणि और उनकी पत्नी दोनों स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हैं।

9 मई 2003 में हुई थी मधुमिता शुक्ला की हत्या

कवयित्री मधुमिता शुक्ला की नौ मई 2003 को लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के वक्त वह गर्भवती थीं। अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में कवयित्री की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिनके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे। इस मामले की जांच सीबीआई को दी गई थी।

देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में, नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था।

यूपी के महराजगंज जिले की लक्ष्‍मीपुर (अब नौतनवा) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अमरमणि त्रिपाठी, कल्‍याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान वह सपा में थे और फिर वह बसपा में चले गए।

मधुमिता की कविताओं में वीर रस था। उसकी आवाज में एक कशिश थी। उसके शब्द राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा देते थे। अपनी कविताओं से बेहद छोटी उम्र मधुमिता ने एक पहचान बना ली थी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की रहने वाली मधुमिता 16 साल से वीर रस कविताओं की लिख रही थी और खुद उन कविताओं को गाती भी थी। उत्तर प्रदेश में मधुमिता की पहचान बन चुकी थी। बस इसी दौरान इस कवयित्री की मुलाकात अमरमणि त्रिपाठी से हुई।

अमरमणि त्रिपाठी तब उत्तर प्रदेश में एक बड़ा नाम हुआ करते थे। बड़े राजनेता, लेकिन मधुमिता का जादू अमरमणि पर ऐसा चला कि दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। मुलाकातें होती रही, नजदीकियां बढ़ी, शारीरिक संबंध भी बने। मधुमिता का अमरमणि के घर भी आना-जाना था। अमरमणि की पत्नी और मां से भी मधुमिता के अच्छे रिश्ते थे। लंबे समय अमरमणि और मधुमिता के बीच रिश्ता चला, लोगों के बीच भी इस रिश्ते को लेकर चर्चाएं थीं, लेकिन 9 मई 2003 में एक चौंकाने वाली खबर आई।

जांच में पता चला कि मधुमिता के पेट में अमरमणि का बच्चा था

लखनऊ में पेपर मिल सोसाइटी में रहने वाली मधुमिता को सुबह-सुबह किसी ने गोली मार दी थी। खून से लथपथ मधुमिता अपने बेड पर पड़ी हुई थीं। लाश का पोस्टमार्टम हुआ तो एक और हैरान करने वाली बात सामने आई। मधुमिता पांच महीने की प्रेग्नेंट थी। वो शादीशुदा नहीं थी, लेकिन प्रेग्नेंट थीं और ये बात पहली बार पोस्टमार्टम के वक्त ही सामने आई थी। अमरमणि और मधुमिता के रिश्ते किसी से छुपे नहीं थे। परिवारवालों ने केस दर्ज करवाया। जांच हुई तो पता चला कि मधुमिता के पेट में अमरमणि का बच्चा था।

अमरमणि और मधुमिता के बीच रिश्ते थे, लेकिन जब वो प्रेग्नेंट हुईं तो ये बात अमरमणि और उसके परिवार को नागवार गुजरी। जांच शुरू हुई तो पता चला कि मधुमिता की हत्या करवाने में अमरमणि की पत्नी मधुमणि भी शामिल थी। केस चलता रहा। अमरमणि बेहद पावरफुल था, लेकिन मधुमिता के परिवार ने भी हार नहीं मानी वो सालों तक अमरमणि के खिलाफ लड़ते रहे। आखिरकार निचली अदालत ने अमरमणि, उनकी पत्नी, उनके भतीजे समेत एक शूटर को दोषी ठहराया। साल 2007 में नैनीताल हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बनाए रखा और अमरमणि और उनकी पत्नी को उम्रकैद की सजा हुई।

तब से अमरमणि और मधुमणि जेल में ही बंद थे, लेकिन कुछ समय पहले यूपी सरकार ने उन्हें छोड़ने का फैसला लिया था। जेल में अमरमणि और मधुमणि के अच्छे आचरण की वजह से उन्हें जेल से रिहाई दी जा रही थी। इस फैसले के खिलाफ मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया है। अब 20 साल बाद अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई हो गई।

वहीं मधुमिता का परिवार अमरमणि और मधुमणि की रिहाई से दुखी है। मधुमिता की बहन निधि शुक्ला का कहना है कि ये अन्याय होगा, जिसके लिए हम इतने सालों से लड़ते आए हैं, उसको ऐसे छोड़ना सही नहीं है।

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