Ind US Dollar: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई 100% टैरिफ लगाने की धमकी पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह देखते हुए कि अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, भारत को अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। हमने पहले भी यह साफ किया है कि भारत डी-डॉलरीकरण के पक्ष में नहीं है।”
ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने पर जयशंकर का विचार
जयशंकर ने अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत को क्वाड (QUAD) के लिए सकारात्मक बताते हुए कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में इस संगठन को मजबूती मिलेगी और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, “पहले ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत और अमेरिका के संबंध बेहतर हुए थे। ट्रंप ने क्वाड को बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई थी।” हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ मुद्दों पर, विशेष रूप से व्यापार के मामलों में, दोनों देशों के बीच मतभेद रहे हैं।
पीएम मोदी और ट्रंप की केमिस्ट्री पर जोर
जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के व्यक्तिगत रिश्तों पर भी बात की। उन्होंने कहा, “दोनों नेताओं के बीच की केमिस्ट्री ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा है। आज कोई ऐसा बड़ा मुद्दा नहीं है, जो दोनों देशों के बीच अलगाव पैदा करे।”
ब्रिक्स करेंसी पर विदेश मंत्री की स्थिति
ब्रिक्स करेंसी के बारे में जयशंकर ने स्पष्ट किया कि “ब्रिक्स में वित्तीय लेनदेन पर चर्चा होती है, लेकिन भारत की अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की कोई योजना नहीं है। अगर ऐसा होता है, तो यह हमारे अपने हितों को नुकसान पहुंचाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स करेंसी को लॉन्च करने का कोई प्रोग्राम या प्रस्ताव फिलहाल मौजूद नहीं है।
डोनाल्ड ट्रंप के भारत के प्रति रुख पर टिप्पणी
जयशंकर ने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप ने कई ऐसे मुद्दों पर भारत का समर्थन किया, जिनसे हमारे रिश्ते मजबूत हुए। लेकिन व्यापार से जुड़े कुछ मामलों पर मतभेद भी सामने आए। इसके बावजूद, अमेरिका और भारत के बीच सहयोग के मुद्दे अधिक हैं और विवाद कम।”
जयशंकर ने यह भी कहा कि “भारत और अमेरिका का रिश्ता आज पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।”