Goolar Ka Phool: आशा और उम्मीद की थीम पर बनी इंटरनेशलन फेम शॉर्ट फिल्म “गूलर का फूल” अभी तक आपने नहीं देखा, दो देर मत करिए, ज़रूर देखिए। जानीमानी शख्सियत सुधीर मिश्र की कहानी पर अवधी भाषा में बनी इस शॉर्ट फिल्म ने देश का नाम रौशन किया है।
Goolar Ka Phool: गूलर का फूल मिलना मुश्किल होते हुए आशावाद का प्रतीक है। ऐसे में मन-मस्तिष्क में अगर ये छा जाए तो जीवन भर इसे पाने की आशा और उम्मीद में इंसान लगा रहता है। “गूलर का फूल” एक मासूम बच्चे चिंटू की मनोचेतना पर छाई एक ऐसी आशा की किरण पर आधारित लघु फिल्म है, जो सोते-जागते, हंसते-खेलते उस बच्चे के ज़ेहन में बसी रहती है। या कह सकते हैं कि वो उसी में जीता है।
Goolar Ka Phool: सुधीर मिश्र की लिखी कहानी पर बनी इस शॉर्ट फिल्म ‘गूलर का फूल’ को निर्देशित किया है पत्रकार से फिल्ममेकर बने धीरज भटनागर ने। अवधी भाषा में मात्र 13 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म ने ना सिर्फ दुनिया भर में वाहवाही लूटी है, बल्कि स्पेन के बार्सिलोना में हुए अराउंड फिल्म फेस्टिवल (ARFF) में बेस्ट शॉर्ट फिल्म का बेस्ट अवॉर्ड जीता है।
Goolar Ka Phool: ‘गूलर का फूल’ टाइटल से बनी इस लघु फिल्म के अधिकतर किरदार लखनऊ के हैं। विनीता मिश्रा ने इसके गीत तैयार किए, जिसे अपनी ज़ादुई आवाज़ में मोनिका साई ने गाया है। वहीं मृदुला श्रीवास्तव ने फिल्म में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है।
Goolar Ka Phool: ये फिल्म ये संदेश देती है कि उम्मीद का दामन कभी भी किसी को नहीं छोड़ना चाहिए। आशा और उम्मीद अगर कायम है तो ज़िंदगी की हर मुश्किल आसान हो जाती है। इस फिल्म (Goolar Ka Phool) की ख़ासियत ये भी है कि फिल्म का हीरो चिंटू बच्चे से बड़ा हो जाता है। मगर पूरी फिल्म में वो एक भी डॉयलॉग नहीं बोलता। वो अपने अभिनय और किरदार की बदौलत दर्शकों के दिलों पर छा जाता है। यही बात इस फिल्म को सुपर-डुपर बनाती है और निर्देशक धीरज भटनागर के डायरेक्शन का कायल बनाती है। निर्देशन का ही कमाल है कि हीरो के बगैर संवाद कहे ही फिल्म का संदेश पूरी तरह से दर्शकों के दिलो-दिमाग़ में छा जाता है।
गूलर के फूल (Goolar Ka Phool) को लेकर रोचक बातें
कहते हैं कि गूलर के फूल रात में ही खिलते हैं और खिलते ही स्वर्गलोक चले जाते हैं। इसके फूल कभी भी पृथ्वी पर नहीं गिरते। ये भी कहा जाता है कि इसके फूल कुबेर की संपदा हैं, इसलिए धरतीवासियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
जानिए कहानी ‘गूलर के फूल’ की
गूलर का फूल एक मासूम बच्चे की कहानी है। कहानी के किरदार चिंटू के सिर से बचपन में ही माँ का साया उठ जाता है। बच्चों के मनोविज्ञान पर आधारित इस लघु फिल्म में चिंटू को ये भरोसा रहता है कि अगर उसके पास गूलर का फूल (Goolar Ka Phool) होता तो वो अपनी परलोक सिधार चुकी माँ को ज़िंदा कर पाता। बस, इसी आस में वो ज़िंदगी जीता है।
आंकड़े बताते हैं कि शॉर्ट फिल्म ‘गूलर के फूल’ को दर्शकों की ख़ूब वाहवाही मिली है। साथ ही इस फिल्म कई अवॉर्ड मिले हैं। इतना ही नहीं नवभारत टाइम्स दिल्ली के स्थानीय संपादक सुधीर मिश्र द्वारा लिखी कहानी पर बनी इस फिल्म ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान की धमक दिखाई है। स्पेन के शहर बार्सिलोना में साल 2023 में हुए अराउंड फिल्म फेस्टिवल (ARFF) में शॉर्ट फिल्म कैटेगरी में इस फिल्म को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला था।
इंटरनेशनल फेम इस फ़िल्म में कलाकार मृदुला भारद्वाज, संदीप यादव, सप्तक भटनागर, विनीता मिश्रा, रवि भट्ट, करिश्मा सक्सेना, दिव्यवासिनी यादव, गोपाल जालान के साथ सुधीर मिश्र ने ग़ज़ब की एक्टिंग की। गायिका मोनिका साई की सुरीली आवाज़ ने इसमें जान डाली दी है।
शॉर्ट फिल्म ‘गूलर के फूल’ (Goolar Ka Phool) के प्रोड्यूसर समीर अग्रवाल हैं। जिन्होंने लखनऊ और जयपुर के स्थानीय कलाकारों को लेकर ये फिल्म बनाई है। वहीं छोटी मगर बड़ी फिल्म गूलर का फूल में निर्देशक धीरज भटनागर ने जान डाल दी है। फिल्म के बाकी कलाकारों ने भी बड़े शानदार ढंग से निभाया है।