Jammu Kashmir CM: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने तीन चरणों में अपना जनादेश दर्ज कर दिया है। मंगलवार को तीसरे और आखिरी चरण की वोटिंग समाप्त हुई। 8 अक्टूबर को मतगणना होगी।
तीसरे चरण में 7 जिलों की 40 विधानसभा सीटों पर 66.56% मतदान हुआ। इस बार तीसरे चरण में वोटिंग प्रतिशत पहले और दूसरे चरण से अधिक रहा।
पहले चरण में 61.38% और दूसरे चरण में 57.31% मतदान हुआ था। तीसरे चरण की 40 सीटों में से 24 जम्मू डिवीजन और 16 कश्मीर घाटी की हैं। स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जम्मू क्षेत्र में अधिक मतदान हुआ है।
इस बार जम्मू कश्मीर में जो राजनीतिक स्थिति बन रही है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि मुस्लिम बहुल इस केंद्र शासित प्रदेश को इस बार एक हिंदू मुख्यमंत्री मिल सकता है। कई कारण हैं जो यह संकेत दे रहे हैं कि चाहे सरकार किसी की भी बने, इस बार जम्मू कश्मीर को अपना पहला हिंदू मुख्यमंत्री मिल सकता है।
भारतीय संविधान में यह गारंटी दी गई है कि देश का कोई भी नागरिक मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक और राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक का पद प्राप्त कर सकता है। यही कारण है कि देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पर दो बार मुस्लिम अल्पसंख्यक नेता रह चुके हैं। कई राज्यों में, जहां मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं, वे मुख्यमंत्री बन चुके हैं।
महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में मुस्लिम मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इसी आधार पर जम्मू कश्मीर के इस बार के विधानसभा चुनाव में जम्मू क्षेत्र में हिंदू मुख्यमंत्री का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। वर्तमान राजनीतिक हालातों में कोई भी पार्टी चुनाव जीते, संभावना है कि इस बार जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री एक हिंदू हो सकता है। देखते हैं वह कौन से कारण हैं जिनके आधार पर यह बात कही जा रही है।
1947 में भारत संघ में शामिल होने से लेकर 5 मार्च 1965 तक जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री के नाम से जाना जाता था। न्यायमूर्ति मेहर चंद महाजन को छोड़कर, जो जम्मू कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री थे, बाकी सभी प्रधानमंत्री घाटी से और मुस्लिम थे।
बाद में, प्रधानमंत्री का पद मुख्यमंत्री में बदल दिया गया और सदर-ए-रियासत को राज्यपाल का नाम दे दिया गया। तब से अब तक सभी मुख्यमंत्री मुस्लिम रहे हैं और कश्मीर घाटी से आए हैं। केवल गुलाम नबी आजाद ही एकमात्र थे, जो जम्मू के डोडा जिले से थे।
2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में 68.8% मुस्लिम आबादी है, जो मुख्यतः कश्मीर घाटी में रहती है। करीब 28.8% हिंदू हैं, जो मुख्य रूप से जम्मू में रहते हैं। जम्मू की विधानसभा और लोकसभा सीटों पर आमतौर पर हिंदू उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं।
इस बार बीजेपी के जम्मू नॉर्थ के उम्मीदवार और राज्य उपाध्यक्ष श्याम लाल शर्मा ने मतदाताओं से अपील की थी कि वे पार्टी के उम्मीदवारों को जिताएं, ताकि प्रदेश को पहला डोगरा हिंदू मुख्यमंत्री मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर महाराष्ट्र में मुस्लिम मुख्यमंत्री हो सकता है, तो जम्मू कश्मीर में हिंदू क्यों नहीं हो सकता? जम्मू में तो हिंदू आबादी 32% है।
श्याम लाल शर्मा के बयान को बीजेपी की रणनीति के रूप में देखा जा सकता है। हिंदू वोटों के बंटवारे की उम्मीद कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। बीजेपी इस प्रयास में है कि जम्मू डिवीजन की 43 विधानसभा सीटों में से अधिकतर सीटों पर कब्जा कर सके। अगर त्रिशंकु विधानसभा बनती है, तो बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद की सबसे अधिक संभावना होगी। इसके साथ ही 5 नामित सदस्यों का समर्थन भी बीजेपी को मिलने की उम्मीद है।
नए परिसीमन के बाद जम्मू और कश्मीर में 90 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिनमें 47 सीटें कश्मीर की और 43 सीटें जम्मू की हैं। परिसीमन के बाद अब कश्मीर के पास केवल 4 सीटों की बढ़त है। इससे जम्मू क्षेत्र के सीएम बनने की संभावना बढ़ गई है।
अगर कांग्रेस जम्मू की अधिकतर सीटें जीतती है, तो हिंदू विधायकों की संख्या मुस्लिम विधायकों के लगभग बराबर हो जाएगी। ऐसी स्थिति में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस भी किसी हिंदू को मुख्यमंत्री बना सकते हैं, ताकि बीजेपी को प्रदेश में मजबूत होने से रोका जा सके।
इस बार के विधानसभा चुनावों में चाहे बीजेपी जीते या कांग्रेस, परिस्थितियां ऐसी बन रही हैं कि जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री एक हिंदू नेता हो सकता है।