विंध्य से ब्राह्मण, महाकौशल-बुंदेलखंड से OBC चेहरे
Shivraj Cabinet Expansion: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने चौथे कार्यकाल का तीसरा और संभवत: आखिरी मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया। राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने शनिवार को सुबह राजभवन में तीन विधायक राजेंद्र शुक्ला, गौरीशंकर बिसेन और पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को मंत्री पद की शपथ दिलाई।
शिवराज सरकार का यह सबसे छोटा मंत्रिमंडल विस्तार कहा जा सकता है। शिवराज कैबिनेट में अब 33 मंत्री हो गए हैं। एक पद अब भी खाली है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्रदेश में आचार संहिता लग सकती है। नवंबर में दिवाली के बाद मतदान की तारीखें निर्धारित की जा सकती हैं।
अब सवाल यह उठता है कि ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि आचार संहिता लागू होने के पहले करीब डेढ़ महीने के लिए 3 नए मंत्री बनाने पड़े? इसके पीछे BJP का क्या राजनीतिक फायदा है? इतने कम समय में नए मंत्री क्या कर सकेंगे, क्या नहीं, सरकार रिपीट होती है तो इनके दोबारा मंत्री बनने के कितने चांस हैं?
रीवा से राजेंद्र शुक्ला (विंध्य), बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन (महाकौशल) और टीकमगढ़ जिले के खरगापुर से विधायक राहुल लोधी (बुंदेलखंड) को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। राजेंद्र शुक्ला को मंत्री बनाकर ब्राह्मण वोट बैंक को साधने की कोशिश की गई है। विंध्य अंचल में 14% ब्राह्मण वोटर्स हैं। गौरीशंकर बिसेन और राहुल लोधी OBC वर्ग से आते हैं। प्रदेश में OBC की आबादी करीब 49% है।
नए मंत्रियों में महाकौशल के बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन, विंध्य क्षेत्र के रीवा से राजेंद्र शुक्ला और बुंदेलखंड के खरगापुर से विधायक राहुल लोधी को कैबिनेट में जगह दी गई है।
राजनीतिक विश्लेषक अरुण दीक्षित कहते हैं, ‘राजेंद्र शुक्ला को मंत्री बनाए जाने की दो वजह हैं। पहली- शुक्ला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भरोसेमंद हैं। दूसरा- BJP को आभास है कि सीधी पेशाब कांड के बाद से विंध्य का ब्राह्मण समाज नाराज है। पेशाब कांड के आरोपी के समर्थन में समाज के कई संगठन उतर आए। ऐसे में BJP को चुनाव में बड़ा नुकसान होने का अंदेशा है। अब शुक्ला को मंत्री बनाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश है।
मध्यप्रदेश का विंध्य, देश के उन क्षेत्रों में से एक है, जहां ब्राह्मण आबादी बहुत ज्यादा है। यहां 14% ब्राह्मण वोटर है। मप्र में ब्राह्मणों की आबादी 45 लाख से ज्यादा है, जो कुल वोट बैंक का करीब 10% है। विंध्य के सात जिलों में 30 विधानसभा सीट हैं। इनमें से 23 सीट ऐसी हैं, जहां ब्राह्मण आबादी 30% से भी ज्यादा है। विंध्य के अलावा महाकौशल, चंबल की करीब 60 से अधिक सीट पर यह वोटर निर्णायक भी हैं।
पिछले चुनाव के आंकड़े देखें तो प्रदेश के 6 अंचलों में विंध्याचल एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जहां BJP ने पिछले चुनाव से कहीं अधिक बेहतर प्रदर्शन किया। यहां की 30 सीट में से उसे 24 पर जीत मिली, लेकिन 2013 में विंध्य में पार्टी का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा। तब 30 में से 17 सीट ही जीती थीं। 2018 में 7 सीट बढ़ी हैं, लेकिन महाकौशल में BJP को बड़ा झटका लगा था।